After 12th D Pharma Course 12वीं के बाद खुद का मेडिकल खोलने के लिए करें यह कोर्स

After 12th D Pharma Course डी फार्मा (Diploma in Pharmacy) एक 2 वर्षीय डिप्लोमा कोर्स है, जो खासकर उन छात्रों के लिए बनाया गया है जो स्वास्थ्य सेवाओं में अपना करियर बनाना चाहते हैं लेकिन MBBS या BDS जैसी लंबी पढ़ाई नहीं करना चाहते। इस कोर्स में छात्रों को दवाइयों के निर्माण, उनके सही इस्तेमाल और सुरक्षित वितरण की जानकारी दी जाती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे पूरा करने के बाद छात्र फार्मासिस्ट के रूप में मेडिकल स्टोर चलाने का लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं। इसी वजह से डी फार्मा को हेल्थ सेक्टर में एंट्री-लेवल प्रोफेशनल कोर्स माना जाता है।

आवश्यक योग्यता

डी फार्मा में एडमिशन के लिए छात्र को 12वीं कक्षा साइंस स्ट्रीम से पास होना जरूरी है। इसमें फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी या मैथ्स विषय होना अनिवार्य है। अलग-अलग कॉलेजों में न्यूनतम अंक की शर्त बदलती रहती है, लेकिन सामान्य तौर पर 45% से 50% अंक आवश्यक माने जाते हैं। कई सरकारी और निजी कॉलेज मेरिट के आधार पर एडमिशन देते हैं, जबकि कुछ संस्थान अपनी प्रवेश परीक्षा भी आयोजित करते हैं। एडमिशन के समय छात्रों से 12वीं की मार्कशीट, आधार कार्ड, फोटो और अन्य आवश्यक दस्तावेज मांगे जाते हैं।

After 12th D Pharma Course

कोर्स की अवधि एवं संरचना

यह कोर्स कुल 2 साल का होता है जिसमें थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों पर ध्यान दिया जाता है। पहले साल में बेसिक साइंस, एनाटॉमी और फार्मास्यूटिक्स की पढ़ाई होती है, जबकि दूसरे साल में फार्माकोलॉजी, फार्मा केमिस्ट्री और ड्रग स्टोर मैनेजमेंट जैसे विषयों पर फोकस किया जाता है। कोर्स के अंत में 3 से 6 महीने की इंटर्नशिप भी करनी होती है जो अस्पतालों, क्लीनिक या मेडिकल स्टोर में कराई जाती है, ताकि छात्रों को वास्तविक अनुभव मिल सके।

मुख्य विषय

डी फार्मा के मुख्य विषयों में फार्मास्युटिक्स, फार्माकोलॉजी, फार्माकॉग्नोसी, फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री, ड्रग स्टोर मैनेजमेंट और ह्यूमन एनाटॉमी व फिजियोलॉजी शामिल होते हैं। ये विषय छात्रों को दवाओं और मानव स्वास्थ्य से जुड़ी गहरी समझ प्रदान करते हैं।

करियर अवसर

कोर्स पूरा करने के बाद करियर अवसर भी व्यापक हैं। छात्र अस्पतालों, क्लीनिक या मेडिकल स्टोर में फार्मासिस्ट के रूप में काम कर सकते हैं। इसके अलावा फार्मा कंपनियों में मैन्युफैक्चरिंग, क्वालिटी कंट्रोल और रिसर्च लैब में भी नौकरी के अवसर मिलते हैं। सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य विभागों में फार्मासिस्ट पद के लिए भर्ती होती रहती है। उच्च शिक्षा के बाद ड्रग इंस्पेक्टर बनने का विकल्प भी खुला रहता है। वहीं, दवा कंपनियों में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (MR) या क्वालिटी एनालिस्ट की नौकरी भी पाई जा सकती है।

स्वरोजगार

डी फार्मा की सबसे बड़ी ताकत यह है कि छात्र स्वरोज़गार के रूप में अपना मेडिकल स्टोर खोल सकते हैं। इसके लिए फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है। मेडिकल स्टोर खोलकर वे डॉक्टरों के प्रिस्क्रिप्शन पर दवाइयाँ बेच सकते हैं, सर्जिकल आइटम और अन्य स्वास्थ्य संबंधी उत्पाद उपलब्ध करा सकते हैं और समय के साथ थोक दवा वितरण का भी काम शुरू कर सकते हैं।

आगे की पढ़ाई

आगे की पढ़ाई के लिए भी रास्ते खुले रहते हैं। डी फार्मा पूरा करने के बाद छात्र बी फार्मा (Bachelor of Pharmacy) में एडमिशन ले सकते हैं और उसके बाद एम फार्मा (Master of Pharmacy) या रिसर्च क्षेत्र में भी आगे बढ़ सकते हैं। उच्च शिक्षा लेने से न केवल बेहतर पैकेज बल्कि उच्च पदों पर नौकरी पाने के अवसर भी बढ़ जाते हैं।

औसत फीस और सैलरी

फीस और सैलरी की बात करें तो डी फार्मा की वार्षिक फीस कॉलेज और राज्य पर निर्भर करती है। सरकारी कॉलेजों में यह फीस कम यानी लगभग ₹20,000 से ₹40,000 तक होती है, जबकि प्राइवेट कॉलेजों में यह ₹50,000 से ₹1,00,000 तक पहुँच सकती है। नौकरी शुरू करने पर छात्रों को शुरुआती वेतन ₹15,000 से ₹25,000 प्रति माह मिलता है और अनुभव या उच्च पढ़ाई के साथ यह बढ़कर ₹40,000 से ₹60,000 या उससे ज्यादा भी हो सकता है।

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