Aaganwadi Employees Salary Hike गुजरात हाईकोर्ट ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के मानदेय को लेकर ऐतिहासिक आदेश सुनाया है। कोर्ट की डबल बेंच ने तीन साल पहले दिए गए सिंगल बेंच के निर्देश को रद्द करते हुए नई व्यवस्था लागू कर दी है। अदालत ने कहा कि पुराना आदेश राज्य की आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर डाल सकता था, लेकिन अब नए फैसले से कार्यकर्ताओं को अभूतपूर्व लाभ मिलेगा।
वेतन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
न्यायालय ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मासिक मानदेय ₹10,000 से बढ़ाकर ₹24,800 कर दिया है। वहीं सहायिकाओं का वेतन ₹5,500 से सीधे ₹20,300 तय किया गया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि इन पदों पर इससे कम भुगतान अब किसी भी स्थिति में नहीं किया जाएगा। यह बढ़ोतरी पहले की तुलना में लगभग दोगुनी है। अदालत का मानना है कि अब तक दिया जा रहा मानदेय इतना कम था कि इन महिलाओं का परिवार का गुज़ारा भी मुश्किल से हो पाता था।
न्यायालय का ऐतिहासिक आदेश
जस्टिस ए.एस. सुपेहिया और जस्टिस आर.टी. बचहानी की खंडपीठ ने यह महत्वपूर्ण फैसला दिया। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों दोनों को निर्देशित किया कि नए वेतनमान का भुगतान तुरंत सुनिश्चित किया जाए। यह व्यवस्था 1 अप्रैल 2025 से लागू मानी जाएगी, यानी सभी कर्मचारियों को पाँच महीनों का बकाया (एरियर) भी मिलेगा। इस निर्णय से लगभग एक लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं सीधे तौर पर लाभान्वित होंगी।
बेहतर जीवन स्तर की ओर कदम
कोर्ट ने कहा कि आंगनबाड़ी कर्मचारी समाज के निचले स्तर तक बच्चों की पढ़ाई, पोषण और गर्भवती महिलाओं की देखभाल जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाती हैं। इसके बावजूद उन्हें बहुत कम मानदेय मिल रहा था। नए आदेश से उनके जीवन स्तर में सुधार होगा और वे अपने परिवार को सम्मानजनक तरीके से चला पाएंगी।
संविधान के अनुरूप फैसला
न्यायालय ने दो टूक कहा कि जीवनयापन योग्य वेतन देना सरकार की जिम्मेदारी है और इससे इंकार करना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन माना जाएगा। साथ ही यह भी कहा गया कि भविष्य में केंद्र या राज्य सरकार इसमें संशोधन कर सकती है। यह आदेश गुजरात के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत कर्मचारियों पर स्वतः लागू होगा, इसके लिए अलग-अलग याचिका दाखिल करने की आवश्यकता नहीं रहेगी।