Ration Card Yojana देश के लाखों परिवार सरकार की मुफ्त राशन योजना पर निर्भर हैं। लेकिन अब खबरें मिल रही हैं कि 1 सितंबर से इसमें बड़े बदलाव संभव हैं। माना जा रहा है कि या तो यह योजना पूरी तरह बंद की जा सकती है या फिर इसके नियम पहले से कहीं ज्यादा कड़े किए जा सकते हैं। असल में यह योजना कोविड महामारी के कठिन समय में शुरू की गई थी ताकि गरीब तबके को राहत मिल सके, लेकिन अब जब आर्थिक दबाव और योजना की समयसीमा दोनों सामने हैं, तो सरकार इसे जारी रखने पर पुनर्विचार कर रही है। इसका असर उन लोगों पर सबसे ज्यादा होगा जो पूरी तरह इस सुविधा पर टिका जीवन गुजार रहे हैं।
बदलाव के पीछे कारण
सरकार के लिए इस योजना को लगातार चलाना अब आसान नहीं रहा। बीते कुछ वर्षों में मुफ्त राशन बांटने पर भारी खर्च उठाना पड़ा है। अब जबकि हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं, सरकार चाहती है कि इसका स्वरूप बदला जाए। इसके अलावा कई जगहों से अनियमितताओं और गलत इस्तेमाल की भी शिकायतें आई हैं। ऐसे में सरकार का लक्ष्य है कि केवल सही और वास्तविक ज़रूरतमंद ही लाभ उठा सकें, जबकि अपात्र लोगों को इससे बाहर किया जाए।
किन्हें होगा सीधा असर
अगर यह योजना बंद होती है या नियम कठोर किए जाते हैं, तो सबसे ज्यादा नुकसान गरीब मजदूरों, दिहाड़ी कामगारों, विधवाओं, वृद्धजनों और दिव्यांगों को झेलना पड़ेगा। इन वर्गों के पास आय का कोई स्थायी साधन नहीं होता और वे मासिक राशन पर ही निर्भर रहते हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां रोज़गार के अवसर सीमित हैं, इसका असर और भी गहरा पड़ सकता है। ऐसे में सरकार के सामने यह चुनौती होगी कि वह इन वर्गों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था पेश करे।
राज्यों की बढ़ती जिम्मेदारी
केंद्र सरकार अगर योजना में कटौती करती है तो राज्य सरकारों पर भी दबाव बढ़ेगा। कुछ राज्य पहले से ही अपने स्तर पर अतिरिक्त राशन मुहैया कराते रहे हैं, लेकिन हर राज्य के पास इतना बजट नहीं होता। कई राज्यों ने इशारा भी किया है कि अगर केंद्र योजना बंद करता है तो वे अपनी तरफ से कोई नई योजना लागू कर गरीबों को राहत देने की कोशिश करेंगे।
राशन कार्ड धारकों की चिंता
सितंबर पास आते ही लाभार्थियों में बेचैनी और असमंजस बढ़ने लगा है। बहुत से लोगों को अब तक साफ नहीं है कि यह योजना आगे जारी रहेगी या नहीं। कुछ राशन डीलरों का कहना है कि उन्हें ऊपर से स्टॉक कम करने और वितरण में बदलाव के संकेत मिले हैं। यही वजह है कि लोग पहले से ही ज्यादा मात्रा में राशन लेने की कोशिश कर रहे हैं ताकि अचानक योजना बंद होने पर परेशानी न हो। अब सबसे ज्यादा जरूरत है कि सरकार जल्द स्पष्ट ऐलान करे ताकि जनता भ्रम से बाहर आ सके।
आगे की दिशा
फिलहाल सरकार की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार सितंबर से बदलाव तय माना जा रहा है। संभावना है कि इसे पूरी तरह खत्म करने के बजाय सिर्फ उन लोगों तक सीमित किया जाए जो वास्तव में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। इसके लिए सही और पारदर्शी सर्वेक्षण की जरूरत होगी, जिससे पात्र और अपात्र लोगों की सही पहचान हो सके। अगर सरकार ऐसा कर पाती है तो योजना का लाभ सही हाथों तक पहुंच सकेगा।
संभावित विकल्प
अगर मुफ्त राशन पूरी तरह बंद किया जाता है, तो इसके कई विकल्प सामने हो सकते हैं। सरकार चाहे तो गरीबों को नकद राशि दे सकती है या फिर खाद्यान्न कम दाम पर उपलब्ध करा सकती है। मनरेगा जैसी योजनाओं को भी मजबूत बनाया जा सकता है जिससे लोगों की आय में इजाफा हो और वे केवल मुफ्त राशन पर आश्रित न रहें। इसके अलावा डिजिटल कूपन या डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर जैसे सिस्टम लागू किए जा सकते हैं ताकि केवल पात्र लोग ही लाभ उठा सकें। इससे योजना ज्यादा पारदर्शी और टिकाऊ बन पाएगी।
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